आईआईटीएम में आईसीएसएसआर प्रायोजित शोध पद्धति पाठ्यक्रम का शुभारंभ

आईआईटीएम स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन एवं आईक्यूएसी, आईआईटीएम, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में एक सप्ताहीय शोध पद्धति पाठ्यक्रम (रिसर्च मेथोडोलॉजी कोर्स) का शुभारंभ बुधवार, 5 मार्च को हुआ।

Mar 6, 2025 - 09:19
Mar 6, 2025 - 04:22
आईआईटीएम में आईसीएसएसआर प्रायोजित शोध पद्धति पाठ्यक्रम का शुभारंभ
आईआईटीएम में आईसीएसएसआर प्रायोजित शोध पद्धति पाठ्यक्रम का शुभारंभ

नई दिल्ली , बुधवार 5 मार्च 2025 : आईआईटीएम स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन एवं आईक्यूएसी, आईआईटीएम, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में एक सप्ताहीय शोध पद्धति पाठ्यक्रम (रिसर्च मेथोडोलॉजी कोर्स) का शुभारंभ बुधवार, 5 मार्च को हुआ। इस अवसर पर भीमराव अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद, गुजरात की निदेशक डॉ. अवा शुक्ला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं, जबकि आईसीएसएसआर के पूर्व निदेशक श्री अजय कुमार गुप्ता ने मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित किया। इसके अलावा (यूएसएमसी), गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सचिन भारती ने भी अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम का शुभारंभ आईआईटीएम की निदेशक प्रो. (डॉ.) रचिता राणा के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने शोध के महत्व और इस पाठ्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। कोर्स डायरेक्टर एवं आईक्यूएसी हेड डॉ. रमदीप कौर ने पाठ्यक्रम का परिचय प्रस्तुत किया। इसके पश्चात कार्यक्रम के कोर्स को-डायरेक्टर एवं बीएजेएमसी विभाग की प्रमुख डॉ. निवेदिता शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

पहले दिन के सत्रों की शुरुआत में डॉ. सचिन भारती ने 'शोध प्रक्रिया और डिज़ाइन: शोध प्रश्नों और परिकल्पना का निर्माण' विषय पर विस्तार से जानकारी दी। दूसरे सत्र में डॉ. एवा शुक्ला ने 'शोध का दर्शन और शोध पद्धति का संक्षिप्त परिचय' विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. अवा शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा, "शोध कार्य केवल अकादमिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह समाज में बदलाव लाने का एक प्रभावी माध्यम भी है। सही शोध पद्धति अपनाकर हम अपने अध्ययन को अधिक प्रासंगिक और व्यावहारिक बना सकते हैं। मुख्य वक्ता श्री अजय कुमार गुप्ता ने कहा, "शोध में नवाचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह पाठ्यक्रम शोधार्थियों को अनुसंधान के नए आयामों से परिचित कराएगा और उनके शोध कार्य को और अधिक प्रभावी बनाएगा। डॉ. सचिन भारती ने कहा, "शोध प्रश्न और परिकल्पना किसी भी अनुसंधान की रीढ़ होते हैं। यदि शोधार्थी इस प्रक्रिया को सही तरीके से समझ लें, तो वे प्रभावी और उपयोगी शोध कर सकते हैं।"

आईआईटीएम की निदेशक प्रो. (डॉ.) रचिता राणा ने कहा, "आईआईटीएम हमेशा अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और शोध कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयासरत रहता है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य शोधार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान पद्धति से परिचित कराना है, जिससे वे अपने शोध को अधिक प्रभावी और समाजोपयोगी बना सकें।"

इस शोध पद्धति पाठ्यक्रम में बिहार, उत्तर प्रदेश, बेंगलुरु, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, और हरियाणा सहित विभिन्न राज्यों से आए 35 से अधिक शोधार्थियों ने प्रतिभाग किया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर बीबीए विभाग की प्रमुख दीपाली सलूजा, आईआईटीएम के उपनिदेशक डॉ. गणेश वाधवानी, बीकॉम विभाग के प्रमुख डॉ. विकास भारारा तथा आयोजन समिति के सदस्य डॉ. बाल कृष्ण मिश्रा, डॉ. राहुल कुमार, श्री साहिल ढल , श्री सुचिव्रत आर्या , डॉ. रजनेश पांडेय, श्री शिंजन चटर्जी सहित आईआईटीएम के सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शोधार्थियों को प्रभावी शोध पद्धति से परिचित कराना, नवाचार को प्रोत्साहित करना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करना है। इस एक सप्ताह तक चलने वाले शोध पद्धति पाठ्यक्रम में विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा शोध से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिए जाएंगे।

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त्रिलोक सिंह Mr. Trilok Kumar Singh is currently serving as a Teaching Assistant in the School of Journalism and Mass Communication (SJMC) at K R Mangalam University and Pursuing Ph.D. in Journalism and Mass Communication from K.R. Mangalam University, Gurugram. He completed his master’s in political science from Kirori Mal College, University of Delhi. He completed his master’s in journalism and mass communication from Galgotias University, Greater Noida and Post Graduate diploma in journalism and mass communication from International School of Media and Entertainment Studies (ISOMES), New 24 Campus.