अवैध निर्माणों पर कार्रवाई में एमवीडीए फिसड्डी

बीजेपी के विधायकों के संबंधी काट रहे अवैध कॉलोनी
सरकारी भूमि पर भी किया अपना कब्जा
निगम की मिलीभगत से हो रहा खेल
ब्यूरो।
मथुरा। कहावत है कि तीन लोक से मथुरा न्यारी है। अब तक तो तीन लोक से मथुरा न्यारी थी भगवान कृष्ण की जन्म स्थली और उनकी लीलाओं को लेकर।
लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में तीनलोक से मथुरा इसीलिए न्यारी है कि मथुरा में होने वाले अवैध निर्माणों पर जमीनी स्तर पर कार्रवाई नहीं हो रही है, बल्कि कार्रवाई केवल फाइलों में हो रही है। जबकि उत्तर प्रदेश में अवैध निर्माणों पर और अवैध काटी जाने वाली कॉलोनियों पर योगी आदित्यनाथ निरंतर कार्रवाई करने का आदेश दे रहे हैं, यही नहीं बुल्डोजर से कार्रवाई हो भी रही है।
बता दें कि यमुनापार के रायपुरमई बांगर में जिस भूमि पर कुछ भू माफियाओं ने कॉलोनी काटने की रूप रेखा तैयार कर कच्ची पक्की सड़क निर्मित कर दी थी, उसी भूमि पर नगर निगम ने लगभग दर्जन भर स्थानों पर अपने नाम के बोर्ड लगा कर लिख दिया था कि यह भूमि नगर निगम की संपत्ति है।
लेकिन हाल ही में देखा गया है कि इतर इतर स्थानों से निगम के बोर्ड को हटाकर कुछ भू माफियाओं द्बारा बाउंड्री कर उसे अपने कब्जे में ले लिया है।
बता दें कि एक ऐसे व्यक्ति द्वारा जिसने अलग अलग पार्टियों में जुड़कर अपना भाग्य आजमाया था, लेकिन जनता ने ठुकरा दिया था। आज उस व्यक्ति ने बीजेपी का दामन थाम कर जिला स्तर पर एक पद हांसिल कर लिया है। यानि कि पूरी तरह दलबदलू बनकर बीजेपी के रंग में रमा है।
सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि बीजेपी में जिला स्तरीय पद पर आसीन होते ही उक्त क्षेत्र में सरकारी जमीन से बोर्ड को हटाकर अपनी बाउंड्री करना बताया गया है। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि उक्त स्थान पर सरकारी जमीन को जिसके द्वारा लिया गया है उस व्यक्ति ने सरकारी जमीन के बदले किसी अन्य स्थान पर जमीन सरकार को दी है।
हालांकि यह कोई नया मामला नहीं है ऐसे ही कानपुर में जमीन अदलाबदली के नियम विरुद्ध मामलों में तहसीलदार तक को सस्पेंड भी होना पड़ा था।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भूमि सुधार अधिनियम की धारा 161 के अनुसार दो व्यक्ति आपसी सहमति से जमीन की अदला बदली कर सकते हैं, बशर्ते मालगुजारी में 10 प्रतिशत से ज़्यादा अंतर नहीं हो।
यहां सवाल इस बात का है कि सरकारी जमीन से निगम के बोर्ड हटाकर अपना कब्जा करना उसके साथ ही उस क्षेत्र में अवैध कॉलोनी काटना? तो क्या बीजेपी से इसीलिए जुड़ा गया है कि अपना उल्लू सीधा होना चाहिए?
बता दें कि यमुनापार में जहां भी प्राधिकरण और निगम का क्षेत्र है वहां बेखौफ अवैध कॉलोनी काटी जा रहीं है, मुख्यमंत्री योगी के आदेश का इन क्षेत्रों में तनिक भी असर नहीं दिख रहा है।
इसका सबसे बड़ा कारण है भूमाफियाओं और कॉलोनाइजरों का बीजेपी नेता और मंत्रियों से नजदीकी संबंध होना। यमुनापुल से बल्देव रोड, गोपालपुर सिहोरा रोड, राया रोड, पर गोसना तक दोनों तरफ, ढेरुआ फांटक आदि क्षेत्रों में काटी जाने वाली सैंकड़ो कॉलोनियों पर योगी के फरमान का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है।
सवाल यह भी है कि रायपुर मई बांगर में यदि सरकारी जमीन को नियमानुसार अदला बदली की गई है तो इसे समाचार पत्रों के माध्यम से जिला प्रशासन को सार्वजनिक करना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं करना संबंधित अधिकारियों की नीयत में खोट दर्शाता है।
अब देखना होगा कि यमुना पार में नई कटने वाली अवैध कॉलोनियों पर कब तक बुल्डोजर की कार्रवाई होगी?
What's Your Reaction?






