प्राधिकरण देखता रहा, अवैध निर्माण होता रहा

चार वर्षों तक मानचित्र के विपरीत होता रहा निर्माण
दो बार लगी सील फिर भी पूर्ण हुआ अवैध निर्माण
दुकान व रिहायशी के मानचित्र पर कर दिया अवैध निर्माण
चार मंजिला भवन निर्माण में संचालित होने जा रहा है हॉस्पीटल
सरकारी राजस्व को पहुंचाई गई लाखों की हानि।
आगरा। योगी सरकार में लगातार अवैध निर्माणों पर हो रही कार्रवाई के बावजूद भी आगरा विकास प्राधिकरण की मिलीभगत से लगभग चार वर्षों तक अवैध निर्माण होता रहा और आगरा विकास प्राधिकरण के क्षेत्रीय अधिकारी देखते रहे।
हैरानी की बात तो यह है कि लगभग चार वर्षों तक निर्माण होता रहा और प्राधिकरण के जिम्मेदार उसे मौके पर रोकने में तो विफल रहे, लेकिन कागजी कार्रवाई में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
बता दें की निर्माण की प्रारंभिक रूप रेखा से ही प्रतीत हो जाता है कि निर्माण वैध हो रहा है या अवैध, किन्तु आगरा विकास प्राधिकरण ने पूर्ण रूप से आंख ही बंद करली है।
मामला यह है कि आगरा के शाहगंज बोदला रोड पर मौजा भोगीपुरा अंतर्गत श्याम नगर के निकट एक भवन का निर्माण विगत लगभग चार वर्षों से होता रहा है, अचानक इस निर्माण को आगरा में कार्य करने वाली द तहलका खबर की टीम ने अपने कैमरे में कैद कर खबर प्रकाशित से पूर्व एडीए के संबंधित अधिकारियों से जानकारी जुटाने पर सामने आया कि उक्त स्थल पर हो चुका निर्माण मानचित्र के विपरीत है इसलिए नोटिस व सील की कार्रवाई की जा चुकी है।
बता दें कि द तहलका खबर टीम ने जब प्राधिकरण के उच्चाधिकारियों से सम्पर्क किया और पूरी तरह मानचित्र विपरीत होने की जानकारी दी तो प्राधिकरण ने 22 अक्टूबर 2021 को निर्माण स्थल को सील किया । उसके बाद निर्माण स्वामी द्वारा 19 जनवरी 2022 को शमन आवेदन प्रस्तुत किया गया और आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा 23 फरवरी 2022 को शमन किया गया।
उसके बाद दिनांक 9 नवंबर 2023 को क्षेत्रीय अवर अभियंता द्वारा निरीक्षण किया गया तो शमन मानचित्र में उल्लेखित शर्तों का पालन नहीं किया गया साथ ही मौके पर एक अस्पताल का संचालन होना पाया गया, साथ ही शमन मानचित्र के विपरीत भी निर्माण होना पाया गया। बता दें कि भवन उपविधि के अनुसार जो निर्माण अशमनीय होता है उसे शमन या कम्पाउंड नहीं किया जा सकता है।
इसी कारण उक्त स्थल पर शमन मानचित्र के विपरीत निर्माण पाए जाने पर प्राधिकरण द्वारा पुनः सील की कार्रवाई हेतु अवैध निर्माण को उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 की धारा 28 'क' ( 1 ) के तहत निर्माण स्वामी को आदेशित करते हुए कहा गया कि लगाई गई सील की अभिरक्षा करना निर्माण स्वामी का उत्तरदायित्व है।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ सील के बाद भी अवैध निर्माण जारी होकर अपनी चार मंजिलों तक पहुंच एडीए को आज भी ठेंगा दिखा रहा है।
पाठकों को बताना होगा कि उक्त स्थल पर मानचित्र से हटकर जो निर्माण किया गया है वो अवैध निर्माण की श्रेणी में प्राधिकरण ने माना है।
सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि श्री सुबनानी मेडिसिटी प्रा0 लि0 खसरा संख्या 438, 439, 440 मौजा भोगीपुर, वार्ड शाहगंज अंतर्गत जो निर्माण हुआ है उसका स्वीकृत मानचित्र के अनुसार भूतल पर दुकान और प्रथम तल पर दुकान के अलावा द्वितीय तल पर रिहायशी हेतु मकान का मानचित्र स्वीकृत होने की जानकारी प्राप्त हुई है। लेकिन स्थल पर एक भी दुकान का निर्माण नहीं हुआ है । केवल एक चार मंजिला भवन का निर्माण हुआ है जिसमें दो तरफ के साइड सेटबैक को पूर्ण रूप से कवर किया गया है, साथ ही पीछे के सेटबैक को कवर कर कमरे बनाने की जानकारी मिली है। यह कवर क्षेत्र शमन भी नहीं हो सकता है।
इसके अतिरिक्त मिली जानकारी में बताया है कि मानचित्र के विपरीत सेटबैक को कवर किया गया है इसके अतिरिक्त स्वीकृति से अधिक बेसमेन्ट का निर्माण भी किया गया है। इसीलिए प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 की धारा 27, कारण बताओ और धारा 28(1), विकास कार्य रोकने और धारा 28(2) क्षेत्रीय थाना अध्यक्ष को नोटिस निर्गत किये जाने के बाद भी अवैध निर्माण बेखौफ होता रहा, यह एक बड़ा सवाल है।
इस सब के अलावा हैरानी तो यह है कि मौके पर जो मानचित्र विपरीत बेसमेंट सहित चार तलों तक का निर्माण किया है उसमें सिटी हॉस्पीटल के नाम से एक हॉस्पीटल का संचालन किया जा रहा है।
बता दें कि यदि उक्त भवन का निर्माण नर्सिंग होम के लिए भवन उपविधि के अनुसार मानचित्र स्वीकृति के अनुसार किया जाता तो फीस के रूप में सरकारी राजस्व की वृध्दि भी होती और रोगियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी नहीं होता।
अब सवाल इस बात का है कि क्या फायर और प्रदूषण विभाग निर्माण स्वामी को एनओसी देंगे या दे चुके। यदि दे चुके हैं तो यह गलत होगा।
साथ ही सवाल यह भी है कि जिस किसी हॉस्पीटल जैसे भवन संचालन का मानचित्र पास किया गया हो और प्राधिकरण से पूर्णता प्रमाण पत्र भी नहीं प्राप्त किया हो तो उसे किसी भी भवन में रिहायशी या व्यावसायिक गतिविधियां होने की स्वीकृति नहीं दी जाती है।
जबकि उक्त निर्माण स्थल पर किसी भी भवन उपविधि और एनबीसी के नियमों का पालन नहीं किया गया है।
अब देखना होगा कि उक्त प्रकरण पर आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा क्या कार्रवाई अमल में लायी जाती है?
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