प्राधिकरण की खुली पोल, सिम्स हॉस्पीटल में निकला बडा झोल
प्राधिकरण की खुली पोल, सिम्स हॉस्पीटल में निकला बडा झोल।

मथुरा: मथुरा में प्राधिकरण जिस तरीके की लापरवाही करता आ रहा है उसमें भवन उपविधि और उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 का उल्लंघन स्पष्ट दिखाई दे रहा है। तत्कालीन सचिव से लेकर उपाध्यक्ष और उनके अधीनस्थ तक अपनी जिम्मेदारियों को किनारे करते हुए अपनी अपनी जेब भरने में लगे रहे हैं।
बताते चलें कि द तहलका खबर ने सिम्स हॉस्पीटल के भवन निर्माण के बाद सीसी प्राप्त नहीं करने को लेकर एक खबर प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक था " बिना सीसी के निर्मित नियम विरुद्ध हो रहीं ब्रह्द स्तर के निर्मित भवन सिम्स हॉस्पीटल में रोगियों का उपचार और आवागमन गतिविधियां "
क्योंकि भवन उपविधि के नियमों में उल्लेख है कि बिना कम्प्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त किये यदि कोई भी भवन अनाधिकृत रूप से प्रयोग में लाया जाता है तो उस भवन को या हो चुके निर्माण को प्राधिकरण द्वारा सील किया जाएगा। साथ ही भवन निर्माण स्वामी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई का भी प्रावधान है। लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है उसका सबसे बड़ा कारण है भृष्ट तंत्र ।
यहां बड़ा सवाल यह है कि मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण के सभी जिम्मदारों को यह भलीभांति अवगत है कि सिम्स हॉस्पीटल द्वारा बिना सीसी प्राप्त किये भवन का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन प्राधिकरण के जिम्मेदार क्यों चुप्पी लगाए हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी में बताया है कि हॉस्पीटल संचालक और हॉस्पीटल का स्वामी ऊपर तक पहुंच रखने वाले हैं इसीलिए प्राधिकरण ने बिना सीसी के सिम्स हॉस्पीटल में हो रही गतिविधियों पर कोई नॉटिस या कार्रवाई करना उचित नहीं समझा है।
अब सवाल यह भी है कि क्या ऊपर तक पहुंच रखने वाले आज मोदी और योगी सरकार में भी कानून को तोड़ मरोड़ कर या कानून का मजाक उड़ा सकते है, अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
बता दें कि जिस सिम्स हॉस्पीटल के मानचित्र स्वीकृति में यह दर्शाया गया है कि बेसमेन्ट में वाहन पार्किंग स्वीकृत है, उस बेसमेन्ट में कुछ स्थाई कुछ अस्थाई रूम बने हुए हैं लेकिन पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है।
पार्किंग हेतु अधिकांश वाहनों को अवैध रूप से साइड सेटबैक में खड़ा किया जाना बताया गया है। जो नियम के विरुद्ध है।
सूत्रों की मानें तो हॉस्पीटल संचालक द्वारा सीसी प्राप्त करने का आवेदन अभी तक प्राधिकरण में प्रस्तुत नहीं किया गया है।
सवाल यह भी है कि हॉस्पीटल परिसर में कहीं भी ग्रीन बेल्ट और वृक्षारोपण नहीं है, भूखण्ड क्षेत्रफल के अनुसार जितने पौधे अब तक छायादार होने चाहिए थे वे अब तक नहीं हैं जोकि सीसी प्राप्ति के लिए अनिवार्य हैं।
बता दें की इसके अलावा और भी बहुत सी कमियां है जिन्हें पूर्ण करने के बाद ही प्राधिकरण से सीसी प्राप्ति की उम्मीद की जा सकती है।
बता दें कि चार मार्च को द तहलका खबर में सिम्स हॉस्पीटल के रख रखाव में हो रही मनमानी की खबर प्रकाशित के बाद भी प्राधिकरण की कुम्भकर्णीय नींद अभी भी नहीं खुली है।
अब देखना होगा कि उक्त हॉस्पीटल भवन नियमों को दरकिनार कर कब तक बिना सीसी के दौड़ता रहेगा या फिर प्राधिकरण हॉस्पीटल को सील पूर्व खाली कराने का नॉटिस देकर उस पर सील की प्रक्रिया को आगे अमल में लाएगा।
देखना यह भी होगा कि प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारी अपनी नौकरी को दाव पर लगाकर कब तक हॉस्पीटल की अनियमितता को बचाएंगे। कब तक जारी रहेगी प्राधिकरण की ढील, आखिर कब होगा अवैध रूप से संचालित सिम्स हॉस्पीटल सील ?
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