गुजरात में कांग्रेस नेता द्वारा दलित महिला आईबी अधिकारी को जान बूझकर कुर्सी से गिराने की साज़िश

गुजरात के कच्छ ज़िले में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कांग्रेस नेता ने जान बूझकर दलित महिला आईबी ऑफिसर को अपमानित करने के लिए उनकी कुर्सी खींचकर गिराना चाहा जिससे महिला ऑफिसर चोटिल हो गई और उन्हें अस्पताल भर्ती करवाया गया। कांग्रेस पार्टी दोषी का समर्थन करते हुए दिखायी दी।

Aug 5, 2024 - 13:01
Aug 5, 2024 - 17:29
गुजरात में कांग्रेस नेता द्वारा दलित महिला आईबी अधिकारी को जान बूझकर कुर्सी से गिराने की साज़िश

गुजरात। कांग्रेस नेता हरेश अहिर पर शनिवार को एक दलित महिला राज्य खुफिया ब्यूरो अधिकारी, रीना चौहान, का अपमान और उन्हें घायल करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया। यह घटना कच्छ जिले के भुज में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हुई थी, जिसे कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आयोजित किया था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब चौहान अपनी ड्यूटी पर रिपोर्ट तैयार करने में व्यस्त थीं, तभी यह अप्रिय घटना घटी। उप पुलिस अधीक्षक ए.आर. जंकट ने बताया कि चौहान फोटो लेने के लिए खड़ी हुईं और जब वापस बैठने का प्रयास कर रही थीं, तो अहिर ने अचानक उनकी कुर्सी खींच दी। इससे चौहान असंतुलित होकर जमीन पर गिर गईं और चोटिल हो गईं। इस घटना के बाद चौहान को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज किया गया।

यह घटना एक संवेदनशील मुद्दा बन गई और चारों ओर इसकी कड़ी आलोचना होने लगी। गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कांग्रेस पार्टी को "महिला विरोधी और दलित विरोधी" करार दिया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें साफ-साफ देखा जा सकता है कि अहिर जानबूझकर चौहान की कुर्सी खींच रहे हैं। सांघवी ने कहा कि चौहान इस घटना के बाद से सदमे और अवसाद में हैं, और यह घटना एक गंभीर मुद्दा है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

 दूसरी ओर, कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने अहिर का बचाव करते हुए भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि यह पूरी घटना कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने और उसके नेताओं को निशाना बनाने की एक सोची-समझी साजिश है। मेवाणी ने कहा कि इस एफआईआर का उद्देश्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दबाने और उनके द्वारा उठाए जा रहे दलित मुद्दों को हाशिए पर धकेलना है। उन्होंने कहा कि यह घटना गृह मंत्री की गलतियों को उजागर करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को चुप कराने की एक कोशिश है।

कानूनी दृष्टिकोण से, हरेश अहिर पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन धाराओं में सार्वजनिक सेवक को स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, सार्वजनिक सेवक को बाधा पहुंचाना और अपमान करने के इरादे से हमला करना शामिल है। इसके अलावा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं भी इस मामले में लागू की गई हैं। एफआईआर में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि अहिर का यह कृत्य जानबूझकर था और इसका उद्देश्य चौहान का अपमान और उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाना था। यह घटना न केवल एक राजनीतिक विवाद का विषय बन गई है, बल्कि सामाजिक और कानूनी मुद्दों को भी उजागर कर रही है। दलित समुदाय और महिला संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह मामला अब न्यायिक प्रक्रिया के तहत है और इसके परिणामस्वरूप क्या कानूनी कार्रवाई होती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

 इस घटना ने राजनीति और समाज में महिलाओं और दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को एक बार फिर सामने ला दिया है। अब यह देखना होगा कि सरकार और संबंधित संस्थान इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और न्याय की प्रक्रिया कितनी प्रभावी होती है।

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Palak Saini Honing my skills in Investigative Journalism and News writing, i am always passionate about uncovering the truth. I aim to inform, educate and inspire through my work.