बिना सीसी के नियम विरुद्ध हो रही ब्रह्द स्तर के निर्मित भवन सिम्स हॉस्पीटल में रोगियों का उपचार और आवागमन गतिविधियां
मानचित्र से निर्मित भवन को अनिवार्य है सीसी प्राप्त करना

ब्यूरो।
मथुरा। बिना मानचित्र भवनों से लेकर मानचित्र के विपरीत निर्मित भवनों पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर एमवीडीए हमेशा विवादों में बना रहा है। प्राधिकरण के अधिकारियों की इस मनमानी या लापरवाही के कारण सरकार को राजस्व की हानि झेलनी पड़ती रही है।
बता दें कि मथुरा के हाईवे स्थित राधा वैली के निकट जिस स्थान पर सिम्स हॉस्पीटल भवन का निर्माण हुआ है वह भवन मानचित्र स्वीकृति के बाद निर्मित होना बताया गया है। 1000 से 1500 वर्गमीटर क्षेत्रफल के लगभग निर्मित होना बताया गया है।
बता दें कि उक्त हॉस्पीटल भवन में एक बृहद स्तर के हॉस्पिटल का संचालन किया जा रहा है जो आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भी बताया गया है।
उक्त भवन को प्राधिकरण द्वारा कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया गया है या नहीं इसकी जानकारी हेतु जब समाचार पत्र द्वारा प्राधिकरण से पूछा गया तो बताया गया कि उक्त भवन स्वामी ने निर्माण के बाद अभी प्राधिकरण से सीसी प्राप्त नहीं किया गया है।
जबकि भवन उपविधि के मुताबिक है कि 300 वर्गमीटर से ऊपर के भवन निर्माण के बाद उसमें किसी भी रिहायशी या व्यावसायिक गतिविधि करने से पूर्व सीसी लेना अनिवार्य है।
पाठकों की जानकारी हेतु बता दें कि सीसी इसीलिए प्राप्त किया जाना जरूरी है, जिसमें बताया जाता है कि भवन का निर्माण भवन उपविधि के अनुसार सभी मानकों का पूर्ण पालन करते हुए किया गया है।
बता दें कि भवन उपविधि के अनुसार भूतल सहित तीन मंजिल से अधिक या 12 मीटर से अधिक ऊंचाई के भवनों तथा महत्वपूर्ण अवस्थापना सुविधाओं से संबंधित भवनों का निर्माण पूर्ण होने के बाद भवन स्वामी द्वारा पूर्णता प्रमाण पत्र या सीसी प्रमाण पत्र प्राप्त करने हेतु प्राधिकरण के सक्षम प्राधिकारी को एक आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जाता है। आवेदन में एक पत्र के माध्यम से भवन उपविधि के परिशिष्ट 11 के अनुसार आर्केट्रेक्ट, साइट इंजीनियर, भवन स्वामी द्वारा संयुक्त रूप से पत्र के माध्यम से यह उल्लेख किया जाता है कि भवन का निर्माण स्वीकृत मानचित्र, निर्धारित विशिष्टियों, पूर्ण गुणवत्ता तथा भारतीय मानक संस्थान कोड, नेशनल बिल्ड़िंग कोड एवं सुसंगत गाइडलाइंस व भूकम्परोधी समस्त प्रवधानों के अनुसार किया गया है, यह भी जानकारी दी जाती है कि भवन पूर्ण रूप से उपयोग हेतु सुरक्षित है साथ ही रेनवाटर हार्वेस्टिंग एवं वृक्ष रोपण का कार्य भी नियमानुसार पूर्ण हो चुका है।
बता दें कि इन सभी नियमों का पालन करने के बाद ही सीसी के लिए आवेदन किया जाता है। नियम यह है कि सीसी प्राप्ति के बाद ही भवन को उपयोग में लाने का प्रावधान है।
लेकिब सिम्स हॉस्पीटल जिस भवन में संचालित किया गया है उसमें भवन स्वामी और प्राधिकरण की मिलीभगत से नियमों को दरकिनार कर अवैध रूप से भवन का उपयोग किया जा रहा है।
बड़े हैरानी की बात है कि जिस भवन में रोगी स्वास्थ्य लाभ को आते है, उस भवन के पास यह प्रमाण पत्र भी नहीं है कि भवन रोगियों के उपचार के लिये मानकों का पालन करता है।
सूत्रों से बताया गया है कि भवन निर्माण के दौरान भवन उपविधि का पूर्ण रूप से पालन नहीं किया गया है इसीलिए प्राधिकरण द्वारा भवन स्वामी को सीसी नहीं दिया जा रहा है।
अब देखना होगा कि भवन उपविधि के विरूद्ध निर्माण करने वाले भवन पर प्राधिकरण द्वारा क्या कार्रवाई की जाएगी और अब तक प्राधिकरण ने क्या कार्रवाई की?
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