“बेदख़ली की कगार पर: झुग्गी बस्तियों की दुर्दशा”
"गुड़गांव की झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग पिछले कुछ समय से लगातार विस्थापन की धमकियों का सामना कर रहे हैं। नगर निगम द्वारा उन्हें अपनी झुग्गियों को खाली करने के लिए कई प्रकार की चेतावनियां दी जा रही हैं। इन चेतावनियों के कारण झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों में भय और अनिश्चिंतता का माहौल है। वे अपनी आजीविका और अपने घर की छत को खोने के डर में जी रहे हैं। इस स्थिति में, इन झुग्गीवासियों का भविष्य अंधकारमय और असुरक्षित दिख रहा।”

गुरुग्राम। गुरुग्राम अब एक प्रमुख शहरी केंद्र के रूप में उभरा है, वहां के झुग्गी निवासी जो बस स्टैंड एक सड़क किनारे घर सजाने का सामान बेचकर अपना जीवन- यापन करते हैं, उनके लिए एक नई चुनौती सामने आ रही है। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से, इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों को नगर निगम की ओर से कई प्रकार की विस्थापन की चेतावनियां मिल रही हैं, जो उनके जीवन में असुरक्षा और अनिश्चिंतता का माहौल पैदा कर रही हैं।
इसी बीच वहां के वाल्मीकि समाज के प्रधान सुल्तान वाल्मीकि जी ने बताया की ये लोग क़रीब 40 साल से यहीं गुज़ारा कर रहे हैं।आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज़ इनके पास है जिसके द्वारा यह अपने मत का प्रयोग कर सरकार को बनाने में अपनी एहम भूमिका भी निभाते हैं। सरकार का कार्य घर बसाने का होता है, उजाड़ने का नहीं- सुल्तान वाल्मीकि।
हालांकि, झुग्गी निवासियों ने बताया सरकार ने पहले उन्हें वॉटर पाईपलाइन जैसी अनेकों सुविधाएं दी है किंतु वहीं सरकार अब उनसे सब छीनना चाहती हैं। उनका कहना है अगर सड़क किनारे सामान बेचने से सड़कें ढकती है तो वे सामान लगाना बंद कर देंगे लेकिन उनसे उनका घर ना छीना जाए या बदले में रहने को दूसरा स्थान दिया जाए। छोटे बच्चों की पढ़ाई- लिखाई पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
प्रशासन व नगर निगम द्वारा दी जा रही चेतावनियों में झुग्गियों को खाली करने की तारीखें निर्धारित की गई हैं, जिसके चलते क़रीब 50 परिवारों को अपने घरों को छोड़ने की विवशता का सामना करना पड़ रहा है।इन चेतावनियों के चलते झुग्गीवासियों में तनाव और भय का माहौल व्याप्त है। जीवन आजीविका और स्थिरता की खोज में संघर्षरत है और इस अचानक विस्थापन के परिणामस्वरूप वे मानसिक और आर्थिक तनाव का सामना कर रहे हैं।
इस स्थिति को देखते हुए, वाल्मीकि समाज और समाजसेवी संस्थाओं ने झुग्गीवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई है। उनका कहना यह भी है कि अगर सरकार इनकी मांग नज़रअंदाज़ करेगी तो ये लोग उनके अधिकारों के लिए धरना व विरोध प्रदर्शन करने को तैयार हैं। इन संगठनों का कहना है कि विस्थापन के मामले में उचित पुनर्वास और सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि प्रभावित लोग सुरक्षित और स्थिर जीवन जी सकें।
झुग्गीवासियों की समस्याओं का समाधान केवल सरकारी योजनाओं और नीतियों में नहीं, बल्कि समाज के हर स्तर पर सक्रिय भागीदारी में है। प्रशासन को चाहिए कि वे विस्थापित लोगों के लिए स्थायी पुनर्वास योजनाएं तैयार करें और उन्हें आवश्यक समर्थन प्रदान करें। इसके साथ ही, समाज को भी झुग्गीवासियों के प्रति संवेदनशीलता और सहायता का भाव रखना चाहिए ताकि वे इस कठिन स्थिति से उभर सकें।
गुड़गांव के झुग्गीवासियों की स्थिति एक गंभीर सामाजिक चुनौती है, जो केवल सरकारी नीतियों से नहीं बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी से सुलझाई जा सकती है। यह समय है कि हम सभी मिलकर इन लोगों के लिए एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करें।
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