लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में , केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पर चलेगा किसानों की हत्या का मुकदमा!

केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पर किसानों की हत्या का मुकदमा चलेगा। लखीमपुर की एक अदालत ने आज आशीष मिश्रा और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं और कहा है कि मुकदमा 16 दिसंबर से शुरू होगा।

Aug 10, 2024 - 08:24
Aug 10, 2024 - 08:36
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में , केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पर चलेगा किसानों की हत्या का मुकदमा!
 केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर पिछले साल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मामले में मुकदमा चलेगा। लखीमपुर की एक अदालत ने आज उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं और कहा है कि मुकदमा 16 दिसंबर से शुरू होगा। यह फैसला अदालत द्वारा मिश्रा की डिस्चार्ज याचिका खारिज करने के एक दिन बाद आया है।
 
इस घटना में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन कश्यप ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, "मैं न्यायपालिका का धन्यवाद करता हूं। मैं सुप्रीम कोर्ट का भी आभार व्यक्त करता हूं, देरी हुई, लेकिन अब आरोप तय हो गए हैं। मुझे न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है।"
 
मारे गए किसानों की ओर से मुकदमा लड़ रहे वकील मोहम्मद अमान ने कहा, "मुकदमे में देरी हुई है, आरोप तय करने में 9 महीने लग गए, और वह भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा टिप्पणी किए जाने के बाद। किसानों को अब न्याय मिलने की उम्मीद है। मेरा मानना है कि ट्रायल जल्दी पूरा होना चाहिए।"
 
पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट में मिश्रा पर हत्या का आरोप लगाया गया है। उन पर आरोप है कि वह 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में एक विरोध मार्च के दौरान उस एसयूवी में थे, जो किसानों और एक पत्रकार के ऊपर चढ़ाई गई थी। घटना के वीडियो में दिखा कि कार तेज़ रफ्तार से प्रदर्शन कर रहे किसानों को टक्कर मार रही थी। इसके बाद गुस्साए किसानों ने एसयूवी का पीछा किया और कथित तौर पर चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर मार डाला।
 
इस घटना ने सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ आक्रोश पैदा कर दिया और सरकार पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बचाने का आरोप लगा। घटना से पहले केंद्रीय मंत्री का एक भाषण भी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर किसानों को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने आंदोलन बंद नहीं किया तो वह "दो मिनट में ठीक कर देंगे।" हत्याओं के बाद उनके इस्तीफे की मांग भी जोर पकड़ने लगी थी।
 
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद आशीष मिश्रा को किसानों की मौत के कुछ दिनों बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए फरवरी में उन्हें जमानत दे दी थी।
 
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 18 अप्रैल को आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करते हुए उन्हें एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा कि पीड़ितों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में "निष्पक्ष और प्रभावी सुनवाई" से वंचित किया गया और उच्च न्यायालय ने "सबूतों का अदूरदर्शी दृष्टिकोण" अपनाया।
 
लखीमपुर अदालत में दाखिल डिस्चार्ज याचिका में आशीष मिश्रा और अन्य आरोपियों ने दावा किया था कि उन पर गलत आरोप लगाए गए हैं, लेकिन कोर्ट ने सभी की याचिका खारिज कर दी।

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