सिक्किम के मंगन जिले में 300 परिवारों का पलायन, सीमा क्षेत्र में भवन ध्वस्त
सिक्किम के मंगन जिले में कुछ भवनों के ध्वस्त होने के बाद लगभग 300 परिवारों को निकाला गया है। गाँव की भूमि धीरे-धीरे तीस्ता नदी की ओर धंस रही है, जिससे स्थानीय निवासियों में भय बढ़ गया है। नागा गांव के प्रतिनिधि निम त्शेरिंग लेप्चा ने सरकार से तत्काल पुनर्वास और सीमा सड़क की बहाली की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है। ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) ने पिछले साल सिक्किम में विनाश किया था, जिससे हिमालयी क्षेत्रों में लाखों लोगों को खतरा है। न्यूकैसल विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, भारत और पाकिस्तान GLOFS से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल हैं। सरकार को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

नई दिल्ली। सिक्किम के मंगन जिले में सीमा क्षेत्र में कुछ भवनों के ध्वस्त होने के बाद लगभग 300 परिवारों को निकाला गया है। शुक्रवार को पीटीआई ने यह रिपोर्ट दी। गाँव की भूमि धीरे-धीरे तीस्ता नदी की ओर धस रही है, जिससे स्थानीय निवासियों में चिंता और भय बढ़ गया है।
नागा गांव के एक पीड़ित और स्थानीय प्रतिनिधि निम त्शेरिंग लेप्चा ने भारतीय सरकार से तत्काल ध्यान देने का आग्रह करते हुए कहा, "प्रभावित लोगों का पुनर्वास इस समय आवश्यक है और साथ ही सीमा सड़क की बहाली भी। यह 2023 में ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) के बाद 11 महीने हो गए हैं और कोई सुधार नहीं हुआ है। भारत सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह एक सीमा सड़क है।" निम ने आगे कहा, "यह केवल आम जनता की चिंता नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है।" पिछले साल सिक्किम में हुई ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) ने हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के तीन मिलियन से अधिक भारतीयों को होने वाले महत्वपूर्ण खतरे की चेतावनी दी थी: जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, असम और अरुणाचल प्रदेश।
पिछले साल फरवरी में, यूके के न्यूकैसल विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक टीम ने ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOFS) से प्रभावित क्षेत्रों का पहला वैश्विक आकलन किया। उनका अध्ययन, जो नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, ने बताया कि भारत और पाकिस्तान GLOFS से प्रभावित वैश्विक आबादी के एक-तिहाई का हिस्सा बनाते हैं। शोध ने यह भी उल्लेख किया कि ग्लेशियल झील के निकटता के साथ जोखिम बढ़ता है।
सिक्किम के मंगन जिले में इस हालिया घटना ने न केवल स्थानीय निवासियों में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ाई है, बल्कि इसके व्यापक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं। क्षेत्र में भू-धंसाव की स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ रही है और इससे लोगों के जीवन और संपत्ति को गंभीर खतरा है। निम त्शेरिंग लेप्चा के अनुसार, "पुनर्वास और सड़क की बहाली तत्काल आवश्यक है। सरकार को इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना चाहिए।"
ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) की घटना ने हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए एक गंभीर चेतावनी दी है। पिछले साल सिक्किम में हुई इस घटना ने स्थानीय निवासियों के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया था और अब भी उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
न्यूकैसल विश्वविद्यालय के अध्ययन ने यह स्पष्ट किया है कि GLOFS से प्रभावित क्षेत्रों में भारत और पाकिस्तान का महत्वपूर्ण योगदान है। यह अध्ययन यह भी बताता है कि ग्लेशियल झीलों के पास के क्षेत्रों में जोखिम अधिक होता है और इसे कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत सरकार को इस मामले में तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और सुरक्षा उपायों को तत्काल लागू करना चाहिए ताकि स्थानीय निवासियों की जान और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और सीमा क्षेत्रों में स्थितियों को स्थिर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
इस घटना ने स्पष्ट रूप से यह संकेत दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूकता और तैयारी की आवश्यकता है। सरकार और वैज्ञानिक समुदाय को मिलकर ऐसे उपायों की योजना बनानी चाहिए जो भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचाव कर सकें और प्रभावित क्षेत्रों में स्थिरता ला सकें।
सिक्किम के मंगन जिले में हुई इस दुखद घटना ने न केवल स्थानीय निवासियों के जीवन को प्रभावित किया है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की गंभीरता को भी उजागर किया है। सरकार को इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और प्रभावित लोगों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए त्वरित कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही, प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूकता और तैयारी के उपायों को भी बढ़ावा देना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचाव हो सके।
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