आखिरी सांस तक मां ने नहीं छोड़ा बेटे का हाथ !

दिल्ली में खुले नाले में गिरने के कारण एक तीन साल के प्रियांश और उसकी जान बचाने की कोशिश करते हुए उसकी उसकी मां तनुजा की मौत हो गई।

Aug 2, 2024 - 14:34
Aug 2, 2024 - 16:39
आखिरी  सांस  तक  मां  ने  नहीं  छोड़ा  बेटे  का  हाथ !
दिल्ली के गाजीपुर में भारी बारिश के बाद खुले नाले ने मां और बेटे की जान ले ली।  तनुजा अपने बेटे के लिए स्कूल की ड्रेस लेने घर से निकली थी। देर रात शव मिला तो लोग बिलख पड़े। दिल्ली के प्रशासन और सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं, आरोप लग रहे हैं, मुआवजे की मांग हो रही है, लेकिन उन दोनों का क्या कसूर था, कोई नहीं बता रहा।
 
मुझे लगता था, मां मेरी जिंदा है तो मुझे कुछ नहीं होगा। मैं घर से निकलता हूं तो उसकी दुआ  मेरे साथ चलती है। उस दिन तीन साल का प्रियांश अपनी मां के साथ था , जैसे ही  प्रियांश का हाथ छूटा और वो नाले में बहने लगा तभी मां भी उसे बचाने के लिए कूद पड़ी। जब तक मां जिंदा थी, बच्चे को उम्मीद रही होगी, लेकिन थोड़ी देर बाद दोनों के शव नाले से बरामत किए गए। जिसने भी वह मंजर देखा, उसकी आंखों में आंसू आ गए। आखिरी सांस तक मां ने बच्चे का हाथ नही छोड़ा । अगर उसका हाथ ऊपर की ओर होता, तो शायद बचाया जा सकता था, लेकिन मां ने अपने बेटे को अकेला नहीं छोड़ा क्योंकि मां तो मां है। तनुजा अपने बेटे के साथ घर से स्कूल की ड्रेस लेने गई थी लेकिन इसकी ख़बर तो उसको भी नही थी कि दिल्ली के खुले नाले उनकी जान ले लेंगे।
 
मां की महिमा  के सामने तो  शब्द भी कम पड़ जाएंगे ,  जिनके सामने देवता भी नतमस्तक होते हैं। जिसे धरती पर ईश्वर का रूप कहा जाता है, वह मां अपने बच्चे को मौत के मुंह में अकेला कैसे छोड़ सकती थी? पानी का बहाव ज्यादा था, नाला गहरा था, और बेटा गहराई में समाने लगा, लेकिन मां ने उसका हाथ नहीं छोड़ा। यह सच्ची घटना आपकी आंखें नम कर देगी। मां तो ऐसी ही होती है। प्रियांश केवल तीन साल का था और उस दिन पहली बार स्कूल गया था , यह  किस को पता था कि वो उसका अखरी बार होगा । प्रियांश के घर में सब  बहुत खुश थे, लेकिन दिल्ली का सिस्टम और  प्रशासन ने उस मासूम की जान ले ली।
 
कुछ घंटे की बारिश ने दिल्ली को जलमग्न कर दिया। गाजीपुर में एक खुशहाल परिवार उजड़ गया। बच्चे के स्कूल के पहले दिन के लिए मां ने सारी तैयारी कर रखी थी, बस स्कूल की ड्रेस नहीं मिली थी। तनुजा वही ड्रेस लेने प्रियांश को लेकर निकली, लेकिन घर नहीं लौटी। अब प्रियांश कभी स्कूल नहीं जा सकेगा।
 
 दिल्ली के जलभराव ने मां-बेटे की जान ले ली। जब उनका शव मिला, तो सभी रो पड़े। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, खोड़ा कॉलोनी के पास कल शाम तनुजा अपने बेटे प्रियांश को पकड़े हुए थी। बारिश के बीच पानी में रास्ते की खोज करते हुए घर की ओर बढ़ रही थी। अचानक बच्चे की उंगली छूटी और वह 10 फुट से भी गहरे नाले में बहने लगा, जो ऊपर से नजर नहीं आ रहा था।
 
जैसे ही प्रियांश नाले में गिरा, तनुजा भी कूद पड़ी। पानी का बहाव इतना तेज था कि दोनों लापता हो गए। आसपास के लोगों ने मां-बेटे को बचाने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कई घंटे बाद आधी रात के करीब आधे किमी दूर से दोनों शव बरामद किए गए। यह देखकर लोग बिलख पड़े कि आखिरी सांस तक मां ने अपने बेटे को अकेला नहीं छोड़ा था।
 
परिवार  ने  बताया कि जब उन्हें नाले से निकाला गया, तो तनुजा को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि प्रियांश के बचने की थोड़ी उम्मीद थी, लेकिन उसकी भी जान नहीं बची। हादसे के समय तनुजा की भाभी पिंकी भी वहीं थीं। उन्होंने बताया कि तनुजा ने प्रियांश को और बैग को हाथ में पकड़े रखा था। पिंकी भी उन्हें बचाने गई थीं, लेकिन उन्हें बाहर निकाल लिया गया, तनुजा कहीं नहीं मिली। तनुजा अपने हाथ से बच्चे को पकड़े हुए थी।
मां की गोदी में कल, मौत की गोदी में आज, हमें दुनिया में ये दो पल सुहाने से मिले।
 
पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर में 22 साल की तनुजा और उसके तीन साल के बेटे प्रियांश की दर्दनाक मौत दिल को झकझोरने वाली है। शासन-प्रशासन एक-दूसरे पर आरोप लगाएंगे, लेकिन इन निर्दोषों की जान कैसे चली गई, इसकी जवाबदेही क्या तय होगी? राजनीति तुरंत शुरू हो गई है।
 
आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। AAP के विधायक कुलदीप कुमार ने इसे उपराज्यपाल की लापरवाही का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, "मैं कहूंगा कि यह घटना नहीं, बल्कि हत्या है। DDA के निर्माणाधीन नाले को ढका नहीं गया। इसमें गिरकर एक मां और बेटे की मौत हो गई। यह विभाग एलजी के अंतर्गत आता है। हम एलजी साहब से कहना चाहते हैं कि यह हादसा नहीं, हत्या है। इसमें पुलिस हत्या का मुकदमा दर्ज करे और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिलाए।"
 
क्या मुकदमा दर्ज करने से जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी? क्या मुआवजे से दो जानें वापस आ जाएंगी? नहीं। फिर ऐसा सिस्टम क्यों नहीं बनता कि देश में फिर किसी नाले में कोई परिवार न उजड़े, किसी निर्दोष की जान न जाए? सिस्टम की सड़ांध को दूर करने के लिए किस चमत्कार का इंतजार किया जा रहा  है?

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