घोसी लोकसभा में 2014 की कहानी दोहराने के फिराक में एनडीए
मऊ। जिले की घोसी लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। त्रिकोणीय मुकाबले में एनडीए गठबंधन, इंडी गठबंधन और बसपा जोर आजमाइश में लगी हुई है। लेकिन मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडी गठबंधन के ही बीच दिखाई देता नजर आ रहा है।

मऊ। जिले की घोसी लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। त्रिकोणीय मुकाबले में एनडीए गठबंधन, इंडी गठबंधन और बसपा जोर आजमाइश में लगी हुई है। लेकिन मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडी गठबंधन के ही बीच दिखाई देता नजर आ रहा है। हालांकि बसपा की मौजूदगी से भी इनकार नहीं किया जा सकता। घोसी लोकसभा सीट पर इस बार सवर्ण मतदाता अहम भूमिका में नजर आ रहे हैं और एनडीए भी 2014 की कहानी दोहराने के फिराक में है।
गौरतलब है कि 2014 में घोसी लोकसभा सीट से भाजपा के हरि नारायण राजभर को जनता ने चुनकर संसद भेजा था। सवर्ण मतदाताओं का एनडीए की तरफ हुआ झुकाव तो बदल सकती है तस्वीर। दरअसल, घोसी लोकसभा सीट पर सवर्ण मतदाताओं की संख्या सभी दलों को सोचने पर मजबूर कर रही है। यह वह मतदाता हैं जो एनडीए के बेस वोटर माने जाते रहे हैं। इस सीट पर राजपूत मतदाता लगभग 1लाख 80 हजार, भूमिहार लगभग 80,000 और ब्राह्मण लगभग 1 लाख जबकि श्रीवास्तव के लगभग 50,000 वोट के करीब हैं। इस सीट पर बनिया बिरादरी के भी लगभग 80 हजार वोट हैं। ऐसे में अगर एनडीए सवर्ण मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने में कामयाब होती है तो मुकाबला काफी दिलचस्प नजर आ सकता है।
कार्यकर्ताओं को मना कर भाजपा ने कर लिया डैमेज कंट्रोल
फिलहाल एनडीए से प्रत्याशी ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर हैं और उनकी पकड़ अपने बेस वोटरों पर मानी जाती है। हालांकि शुरुआत में भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी देखने को मिली लेकिन उपमुख्यमंत्री और जिले के दो कैबिनेट मंत्रियों के लगातार प्रयासों से भाजपा ने काफी हद तक डैमेज कंट्रोल कर लिया है।
आने वाले नतीजे बताएंगे जनता का मूड
कुल मिलाकर भाजपा और एनडीए गठबंधन ने घोसी लोकसभा सीट पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और इस बार कोई कोर कसर छोड़ने को तैयार नहीं। अब ये तो 4 जून को आने वाले नतीजे ही बताएंगे की घोसी की जनता के मन में क्या है।
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