बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी हिंसा चरम पर है। शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद हुई हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं और मरने वालों की संख्या 450 के करीब पहुंच गई है। फिलहाल शेख हसीना भारत में एक अज्ञात स्थान पर हैं। उन्होंने ब्रिटेन से शरण की मांग की है, लेकिन उनकी ब्रिटेन यात्रा पर अनिश्चितता बनी हुई है। ब्रिटेन के गृह कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, आव्रजन नियमों के तहत शरण के लिए यूके आने की अनुमति नहीं है, जिससे हसीना की यात्रा योजनाओं में बाधा आई है। जब तक उनकी स्थिति स्पष्ट नहीं होती, वह भारत में ही रहेंगी।
ब्रिटेन सरकार के सूत्रों का कहना है कि ब्रिटेन में शरण की प्रक्रिया जटिल है। इससे पहले ब्रिटेन ने हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान को 1972 में पाकिस्तानी जेल से रिहा होने पर शरण देने की पेशकश की थी।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने बांग्लादेश में हिंसा पर चिंता जताई है और सभी से मिलकर हिंसा समाप्त करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंसा की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और संयुक्त राष्ट्र को इसका नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन बांग्लादेश के लोकतांत्रिक भविष्य की दिशा में कार्यवाही देखना चाहता है। यूके और बांग्लादेश के बीच गहरे संबंध हैं और दोनों देश साझा राष्ट्रमंडल मूल्यों को साझा करते हैं।
बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आरक्षण पर रोक लग गई, लेकिन फिर प्रदर्शनकारियों ने पीएम शेख हसीना के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। इस हिंसा में अब तक 450 के करीब लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं। अंततः कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई और प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा देकर भारत चली गईं। इसके बाद प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास में घुस गए। विरोध प्रदर्शन अभी भी पूरी तरह शांत नहीं हुए हैं। बांग्लादेश की सेना के प्रमुख ने जल्द ही अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की है।
स्थानीय खबरों के अनुसार, पुलिस और सेना सड़कों पर गश्त कर रही है, जिससे स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण में आ रही है। लंबे समय बाद विद्यालय भी खोले गए हैं, जो विवादित आरक्षण प्रणाली के विरोध में छात्रों के प्रदर्शन के कारण बंद कर दिए गए थे। सोमवार को हुई हिंसा के बाद मंगलवार को ढाका में काफी हद तक शांति बनी हुई है। सड़कों पर सार्वजनिक परिवहन शुरू हो गया है और दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोलनी शुरू कर दी हैं। सरकारी वाहन भी कार्यालयों की ओर जाते देखे गए हैं।