योगी VS अखिलेश- 2027 उपचुनाव
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश को मिली भारी हार के बाद 2027 के उपचुनावों पर एक प्रश्नचिन्ह लग गया है। जहां एक तरफ योगी आदित्यनाथ भाजपा का परचम 2027 में फिर से एक बार लहराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए नजर आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव अपने रहस्यमयी प्रकृति के संदेशों से मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने की योजना की ओर इशारा कर रहे हैं।

लोकसभा चुनाव के बाद अब ध्यान आगामी उपचुनावों पर केंद्रित हो गया है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिली हार ने 2027 में होने वाले उपचुनावों में भाजपा की संभावनाओं को लेकर चिंता बढ़ा दी है। यूपी के राजनीतिक घटनाक्रम, खासकर आगामी उपचुनावों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रुख पर पूरा देश पैनी नजर बनाए हुए हैं। हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने 17 जुलाई 2024 को दो अहम बैठकें कीं, जिसमें उन्होंने अपने नेतृत्व में 16 मंत्रियों की एक विशेष टीम गठित की। दिलचस्प बात यह है कि इस टीम में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य को शामिल नहीं किया गया। बैठकों के बाद योगी ने यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात कर पुलिस मंत्रालय के साथ कावड़ यात्रा पर चर्चा की। साफ है कि लोकसभा चुनाव का यूपी भाजपा पर खासा असर पड़ा है।
इसी बीच अखिलेश यादव व उनके पार्टी के लोग लगातार सीएम योगी आदित्यनाथ की आलोचना करने में लगे हुए हैं। यादव के हाल ही में दिए गए बयान ने राजनीतिक चर्चाओं में आग में घी डालने का काम किया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने हाल ही में सोशल मीडिया पर मानसून ऑफर की शुरुआत की घोषणा की। अपनी घोषणा में, अखिलेश यादव ने कहा, "मानसून ऑफर: सौ लाओ, सरकार बनाओ!" इस बयान ने कई अटकलों और व्याख्याओं को जन्म दिया है, कुछ लोगों का सुझाव है कि अखिलेश मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने की योजना की ओर इशारा कर रहे हैं।
अखिलेश के संदेश की रहस्यमय प्रकृति ने कई लोगों को उनके इरादों और उनके शब्दों के संभावित निहितार्थों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। अखिलेश लगातार आक्रामक रुख अपना रहे हैं और लगातार हमले कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार की स्थिति को लेकर काफी चर्चा और अटकलें चल रही हैं। हाल ही में अखिलेश यादव ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भाजपा के भीतर अव्यवस्था और अलगाव की भावना बढ़ती जा रही है, जिससे यह धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। पार्टी कई गुटों में बंटी हुई दिख रही है, जिसमें कठपुतली जैसा खेल खेला जा रहा है, जिसमें सदस्य एक-दूसरे को कमजोर करने और शर्मिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि पार्टी के भीतर प्रत्येक कार्यकर्ता अलग-अलग ताकतों द्वारा नियंत्रित किए जा रहे हैं।
जिससे आंतरिक संघर्ष और सत्ता संघर्ष सार्वजनिक हो रहे हैं। जो कभी एकजुट मोर्चा था, वह अब एक अराजक स्थिति में दिखाई देता है, यहां तक कि पार्टी के नेता और सदस्य भी खुलेआम आपस में भिड़ रहे हैं और आपस में मनमुटाव पैदा कर रहे हैं। साथ ही अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद को समाजवादी पार्टी के नए चेहरे के तौर पर पेश किया है। प्रसाद ने एक इंटरव्यू में पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि भाजपा का युग खत्म हो रहा है और अब समाजवादी पार्टी और पीडीए के नेतृत्व को कमान संभालने का समय आ गया है। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि भविष्य में भाजपा नहीं बल्कि भारत गठबंधन सरकार बनाएगा।
आगामी यूपी 2027 उपचुनाव में योगी और अखिलेश यादव के बीच मुकाबला होगा, जिसमें मिल्कीपुर सीट भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। अयोध्या सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए मिल्कीपुर स्पेशल टीम का नेतृत्व सूर्य प्रताप शाही और मयंकेश्वर शरण सिंह को सौंपा गया है। मिल्कीपुर में सफलता पाने के लिए भाजपा को 'भगवान श्री राम ने भाजपा छोड़ दी है' जैसे विभाजनकारी राजनीतिक बयानों से बचना महत्वपूर्ण है।
What's Your Reaction?






