दुनिया को युद्ध में नहीं, बल्कि बुद्ध में मिलेगा समाधान: मोदी

युद्ध को दूर करिए शांति का पथ प्रशस्त करिए क्योंकि, बुद्ध कहते हैं- “नत्थि-संति-परम-सुखं” अर्थात्, शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है।

Oct 17, 2024 - 14:29
Oct 17, 2024 - 14:45
दुनिया को युद्ध में नहीं, बल्कि बुद्ध में मिलेगा समाधान: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा, कि पूरे विश्व को महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं ग्रहण कर शांति की राह पर चलना चाहिए, क्योंकि दुनिया को युद्ध में नहीं, बल्कि बुद्ध में समाधान मिल सकता है। श्री मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा, कि ऐसे समय में जब दुनिया अस्थिरता से ग्रस्त है, बुद्ध न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि एक जरूरत भी हैं। उन्होंने कहा कि मैं आज अभिधम्म पर्व पर पूरे विश्व का आवाहन करता हूं- बुद्ध से सीखिए…युद्ध को दूर करिए…शांति का पथ प्रशस्त करिए…क्योंकि, बुद्ध कहते हैं- नत्थि-संति-परम-सुखं अर्थात्, शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है।

उन्होंने कहा कि नही वेरेन वैरानि सम्मंतीध कुदाचनम्, अवेरेन च सम्मन्ति एस धम्मो सनन्ततो अर्थात वैर से वैर, दुश्मनी से दुश्मनी शांत नहीं होती। वैर अवैर से, मानवीय उदारता से खत्म होता है। बुद्ध कहते हैं- भवतु-सब्ब-मंगल ।। यानी, सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो- यही बुद्ध का संदेश है, यही मानवता का पथ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर देश अपनी विरासत को अपनी पहचान से जोड़ता है, लेकिन भारत इस मामले में बहुत पीछे रह गया है। उन्होंने कहा कि आजादी से पहले आक्रमणकारियों ने भारत की पहचान को मिटाने की कोशिश की। बाद में गुलाम मानसिकता से ग्रसित लोगों ने ऐसा किया। आजादी के बाद एक ऐसे समूह ने देश पर कब्जा कर लिया, जो इसे अपनी विरासत की विपरीत दिशा में ले गया। उन्होंने कहा कि पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देना भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है। भाषा सभ्यता और संस्कृति की आत्मा है। पाली भाषा को जिंदा रखना, भगवान बुद्ध के शब्दों को जिंदा रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अभिधम्म दिवस हमें याद दिलाता है, कि करुणा और सद्भावना से ही हम दुनिया को और बेहतर बना सकते हैं। इससे पहले 2021 में कुशीनगर में ऐसा ही आयोजन हुआ था। वहां उस आयोजन में भी मुझे शामिल होने का सौभाग्य मिला था, और ये मेरा सौभाग्य है, कि भगवान बुद्ध के साथ जुड़ाव की जो यात्रा मेरे जन्म के साथ ही शुरू हुई है, वो अनवरत जारी है। मेरा जन्म गुजरात के उस वडनगर में हुआ, जो एक समय बौद्ध धर्म का महान केंद्र हुआ करता था। उन्हीं प्रेरणाओं को जीते-जीते मुझे बुद्ध के धम्म और शिक्षाओं के प्रसार के इतने सारे अनुभव मिल रहे हैं।

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