बरेली में खौफ का साया: पिछले 14 महीनों में 9 महिलाओं की एक जैसी हत्या

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में पिछले 14 महीनों में 9 महिलाओं की गला घोंटकर हत्या कर दी गई है। ये घटनाएं 25 किलोमीटर के दायरे में फैली हुई हैं और दो पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले गांवों में हुई हैं। पीड़ित महिलाएं 45 से 55 वर्ष की थीं और सभी को दोपहर के समय खेतों में मारा गया। डीजीपी प्रशांत कुमार ने सीरियल किलर की संभावना जताई है और तीन संदिग्धों के स्केच जारी किए हैं। पहली हत्या जून 2023 में हुई और 3 जुलाई 2024 को आखिरी लाश मिली। नवंबर 2023 तक 8 हत्याएं हो चुकी थीं, जिसके बाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन हत्याएं फिर भी जारी रहीं। एसएसपी अनुराग आर्या ने बताया कि पुलिस की जांच में कोई ठोस सुराग नहीं मिला है और पारंपरिक तरीकों से मामले को सुलझाने की कोशिश की जा रही है।

Aug 8, 2024 - 07:58
Aug 8, 2024 - 12:53
 बरेली में खौफ का साया: पिछले 14 महीनों में 9 महिलाओं की एक जैसी हत्या

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में खौफ का साया मंडरा रहा है, क्योंकि पिछले 14 महीनों में 9 महिलाओं की हत्या हो चुकी है। इन हत्याओं का तरीका बिल्कुल एक जैसा है, जिससे लोगों में दहशत फैल गई है। ये घटनाएं 25 किलोमीटर के दायरे में फैली हुई हैं और दो पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले गांवों में हुई हैं। पीड़ित महिलाएं 45 से 55 वर्ष की आयु की थीं और सभी को दोपहर के समय खेतों में गला घोंटकर मारा गया, उनके कपड़े बिखरे हुए मिले लेकिन किसी भी तरह के यौन उत्पीड़न के संकेत नहीं मिले।

उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने बुधवार को टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) को बताया, "हमारी टीमें इस मामले की पिछले छह महीने से जांच कर रही हैं और हत्याओं के लगभग एक जैसे तरीकों के कारण हम एक सीरियल किलर की संभावना से इनकार नहीं कर सकते। कुछ सुरागों के आधार पर, हमने अब तीन संदिग्धों के स्केच जारी किए हैं।"

यह खौफनाक सिलसिला पिछले साल जून में शुरू हुआ था जब पहली लाश मिली थी और आखिरी पीड़िता 3 जुलाई को मिली थी, जब 45 वर्षीय महिला का शव शाही शीशगढ़ इलाके में खेत में पाया गया। पिछले साल नवंबर तक, मृतकों की संख्या आठ तक पहुंच गई थी, जिससे निवासियों में व्यापक दहशत फैल गई थी। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया लेकिन हत्याएं फिर भी जारी रहीं।

बरेली के एसएसपी अनुराग आर्या ने TOI को बताया, "तरीका स्पष्ट है, दोपहर के समय गला घोंटना, शवों को खेतों में फेंकना और पोस्टमॉर्टम में यौन उत्पीड़न से इनकार करना। हमारी जांच, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक निगरानी भी शामिल है, एक गतिरोध पर पहुंच गई है।"

जांच एजेंसियों का संदेह है कि गिरफ्तार किए गए तीन आरोपी असली दोषी नहीं हो सकते, क्योंकि वे जेल में बंद थे फिर भी हत्याएं जारी रहीं। वरिष्ठ अधिकारी अब हाल ही में जमानत पर रिहा या छोड़े गए कैदियों के विवरण की जांच कर रहे हैं। मामले को सुलझाने में असमर्थ पुलिस ने पारंपरिक तरीकों की ओर रुख किया है और 90 गांवों के किसानों से साक्षात्कार के बाद संदिग्धों के स्केच जारी किए हैं।

इस श्रृंखला की शुरुआत के बाद से ही स्थानीय निवासियों में भय व्याप्त है। महिलाएं दोपहर के समय खेतों में जाने से डर रही हैं और परिवारों ने सुरक्षा बढ़ा दी है। पुलिस का कहना है कि वह हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है।

पिछले साल जून से अब तक की घटनाएं इस प्रकार हैं: पहली लाश जून में मिली, फिर जुलाई में दूसरी, अगस्त में तीसरी, और इसी प्रकार यह सिलसिला जारी रहा। नवंबर तक आठ हत्याएं हो चुकी थीं। हर घटना में पुलिस ने गहन जांच की लेकिन कोई निर्णायक प्रमाण नहीं मिल सका। तीन संदिग्धों की गिरफ्तारी के बावजूद हत्याएं जारी रहीं, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि असली हत्यारा अब भी आज़ाद घूम रहा है।

पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत दें। संदिग्धों के स्केच जारी करने के बाद पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही किसी ठोस सुराग तक पहुंचा जा सकेगा।

इस घटना ने पूरे जिले में आतंक मचा दिया है और पुलिस पर दबाव बढ़ा है कि वे जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाएं। ग्रामीण इलाकों में अब भी लोग डर के साये में जी रहे हैं और पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है। उम्मीद है कि पुलिस की कड़ी मेहनत और जनता के सहयोग से इस भयावह सिलसिले का अंत जल्द ही हो जाएगा।

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