भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हराकर हॉकी में रचा इतिहास

भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हराकर एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की, जो 1972 के बाद पहली बार हुई। यह मैच 'ल'एशेल दे जिदान' पर हुआ, जहां भारत ने तेज और काउंटरअटैकिंग हॉकी खेली। गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने महत्वपूर्ण बचाव किए, जबकि लालित उपाध्याय और हरमनप्रीत सिंह के गोल्स ने भारत को जीत दिलाई। इस जीत ने भारत को ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टरफाइनल में पहुंचाया और भारतीय हॉकी प्रेमियों के लिए एक नई शुरुआत का संकेत दिया।

Aug 3, 2024 - 08:49
Aug 3, 2024 - 14:26
भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हराकर हॉकी में रचा इतिहास

भारतीय हॉकी टीम ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हराया। इस जीत ने वर्षों के दर्द और पुरानी हार की यादों को मिटा दिया है। यह जीत यवेस डू मैनोइर स्टेडियम में हुई, जिसे फ्रेंच में 'ल'एशेल दे जिदान' कहा जाता है, जिसका मतलब 'जिदान स्केल' होता है। इस स्केल पर, इस मैच का आनंद उच्चतम स्तर पर था।

इस जीत ने भारतीय हॉकी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। भारत ने 1972 के म्यूनिख ओलंपिक के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ओलंपिक में हराया है। यह जीत बेल्जियम के पीछे दूसरे स्थान पर रहते हुए भारत को ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टरफाइनल में स्थान दिलाती है, जो टोक्यो ओलंपिक के क्वार्टरफाइनल मैच का रीमैच होगा, जिसमें भारत ने जीत दर्ज की थी।

इस जीत में भारतीय टीम ने अपनी जड़ों की ओर लौटते हुए तेज, काउंटरअटैकिंग हॉकी खेली और किसी भी सामान्य गलती को नहीं किया। टोक्यो में भी ऐसा ही हुआ था, जब भारत ने 1980 के बाद पहली बार पोडियम पर स्थान पाया था। इस मैच में, गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने अंतिम मिनटों में ऑस्ट्रेलिया के हमले को नाकाम कर दिया और अपनी टीम को जीत दिलाई।

श्रीजेश ने अंतिम मिनटों में ऑस्ट्रेलिया के एक हमले को नाकाम किया, जब ऑस्ट्रेलिया ने अंतिम पांच मिनटों में स्कोर को 1-3 से 2-3 कर दिया था। श्रीजेश ने अपनी लाइन से बाहर आकर हमले को रोका और ऑस्ट्रेलियाई हमलावर के शॉट को अपने बाएं हाथ से रोक दिया। यह उनकी विदाई टूर्नामेंट में एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिससे वह अपने करियर को एक नए ऊंचाई पर ले गए।

हालांकि, यह जीत केवल श्रीजेश की नहीं थी। यह एक पूरी टीम की कोशिश का नतीजा था, जिसने ऑस्ट्रेलिया को रोका और कोच क्रेग फुल्टन के सामरिक हस्तक्षेप ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय टीम ने इस मैच में अपने अतीत की तेज और सीधे हमले वाली हॉकी खेली, जो उनकी पहचान है।

इस मैच में भारतीय टीम ने अपने खेलने के तरीके में बदलाव किया। उन्होंने गेंद को तेजी से पास किया और मौके का फायदा उठाया। 12वें मिनट में लालित उपाध्याय ने ऑस्ट्रेलिया के 'डी' में गेंद पाकर शॉट लिया, जिसे गोलकीपर ने ब्लॉक किया। गेंद अभिषेक के पास आई, जिन्होंने उसे धैर्यपूर्वक नियंत्रित किया और एक पावर हिट किया, जिसने ऑस्ट्रेलियाई गोलकीपर को कोई मौका नहीं दिया।

यह गोल ऑस्ट्रेलिया को हिला देने वाला था। एक मिनट बाद, मनप्रीत सिंह ने एक शानदार पास दिया, जिसने ऑस्ट्रेलिया की रक्षा को खोल दिया और पेनल्टी कॉर्नर दिलाया। कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने इस मौके का फायदा उठाया और एक शक्तिशाली शॉट से गोल किया, जिससे भारत ने अपनी बढ़त को दोगुना कर दिया।

इस मैच में भारतीय टीम की खेल शैली और संयम ने दिखाया कि वे एक परिपूर्ण गेम खेलने के कितने करीब थे। यह जीत भारतीय हॉकी के लिए एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकती है और टीम के आत्मविश्वास को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।

इस ऐतिहासिक जीत ने भारतीय हॉकी प्रेमियों के लिए एक नया अनुभव प्रस्तुत किया है, जिन्होंने वर्षों से टीम को बड़े मंचों पर ऑस्ट्रेलिया से हारते देखा है। अब, भारतीय टीम ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टरफाइनल में अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है और इस जीत से प्रेरित होकर आगे बढ़ेगी।

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