ISRO ने सफलतापूर्वक EOS-08 सैटेलाइट को लॉन्च किया, SSLV-D3 मिशन ने रचा नया इतिहास
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV-D3) के माध्यम से EOS-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। यह ISRO का 2024 का तीसरा सफल मिशन है। SSLV-D3 मिशन ISRO के छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान का अंतिम विकासात्मक उड़ान था, जिसमें तीन प्रमुख पेलोड - EOIR, GNSS-R, और SiC UV डोसिमीटर शामिल थे। इस मिशन ने ISRO की वाणिज्यिक शाखा, NewSpace India Ltd, की भविष्य की वाणिज्यिक प्रक्षेपण क्षमताओं को भी बढ़ावा दिया। EOS-08 सैटेलाइट का उपयोग उपग्रह आधारित निगरानी, पर्यावरण निगरानी, और अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV-D3) के माध्यम से EOS-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित कर एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस प्रक्षेपण को पूरी तरह सटीकता के साथ अंजाम दिया गया, जो कि ISRO के लिए एक और बेहतरीन मिशन साबित हुआ। इस अभियान में कोई त्रुटि नहीं आई, जिससे ISRO की छोटे उपग्रहों को उच्च सटीकता और विश्वसनीयता के साथ प्रक्षेपित करने की क्षमता और भी मजबूत हो गई है।
इस मिशन में पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट (EOS-08) को प्रक्षेपित किया गया, जो ISRO के लिए वर्ष 2024 का तीसरा सफल प्रक्षेपण है। इससे पहले, ISRO ने PSLV-C58/XpoSat और GSLV-F14/INSAT-3DS मिशनों का भी सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया था।
यह मिशन ISRO के छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का अंतिम विकासात्मक उड़ान था। SSLV, जो कि 34 मीटर ऊंचा रॉकेट है, को 500 किलोग्राम तक के छोटे उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस प्रक्षेपण में तीन प्रमुख पेलोड शामिल थे: इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड (EOIR), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R), और SiC UV डोसिमीटर।
SSLV-D3-EOS-08 मिशन न केवल ISRO के सबसे छोटे रॉकेट के विकासात्मक चरण को पूरा करेगा, बल्कि ISRO की वाणिज्यिक शाखा, NewSpace India Ltd, की भविष्य की वाणिज्यिक प्रक्षेपणों के लिए क्षमताओं को भी बढ़ावा देगा। इस मिशन की सफलता से ISRO की उन्नत छोटे उपग्रह प्रौद्योगिकी को तैनात करने की क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है, जो कि आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी और अन्य विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी साबित होगी।
SSLV-D3 के साथ प्रक्षेपित किया गया EOS-08 सैटेलाइट Microsat/IMS-1 बस पर आधारित है और इसका मिशन जीवन एक वर्ष का है। इसका वजन लगभग 175.5 किलोग्राम है और यह लगभग 420 वाट बिजली उत्पन्न करता है। इस सैटेलाइट के पेलोड का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, जिसमें उपग्रह आधारित निगरानी, पर्यावरण निगरानी, महासागर सतह पर पवन विश्लेषण, और आगामी गगनयान मिशन में UV विकिरण निगरानी शामिल हैं।
ISRO का यह सफल प्रक्षेपण देश की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक और महत्वपूर्ण कदम है और यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास में लगातार अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है।
What's Your Reaction?






