वायनाड में भूस्खलन: मौत के साए में मिली एक नई उम्मीद

वायनाड में हुए भूस्खलन ने जहां कई लोगों की जिंदगी को तबाह कर दिया, वहीं अनारा और मुहम्मद हयान की जीवित रहने की कहानी ने एक नई उम्मीद जगाई है। राज्य और केंद्र सरकार की त्वरित पहल और बचावकर्मियों की तत्परता ने इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद की है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद और संघर्ष हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

Aug 3, 2024 - 05:49
Aug 3, 2024 - 07:21
वायनाड में भूस्खलन: मौत के साए में मिली एक नई उम्मीद

केरल के वायनाड जिले में मंगलवार को हुए घातक भूस्खलन में एक नई उम्मीद की किरण दिखाई दी, जब 40 दिन की एक बच्ची और उसके छह साल के भाई ने इस प्राकृतिक आपदा में अपनी जान बचाई। Onmanorama के अनुसार, अनारा और मुहम्मद हयान नाम के इन बच्चों ने इस भयानक हादसे में अपने घर को खो दिया, जबकि उनके परिवार के छह सदस्य बाढ़ में बह गए।

तन्जीरा, जो इन बच्चों की मां हैं, ने अपने नवजात बच्ची अनारा को बचाने के लिए एक पास के घर की छत से चिपके रहने की कोशिश की। जब वह बाढ़ के पानी में बहने लगी, तो उसने अपनी बच्ची के हाथ को मजबूती से पकड़े रखा, हालांकि इस घटना में अनारा का हाथ घायल हो गया। छह साल का हयान बाढ़ के पानी में 100 मीटर दूर बह गया था। उसे बचावकर्मियों ने एक कुएं के पास एक तार से लटकते हुए पाया और उसकी जान बचाई।

तन्जीरा अपने दोनों बच्चों के साथ फिर से मिलकर खुश थी, लेकिन उसे अपनी मां अमीना और दादी पथुमा की दुखद मौत का सामना करना पड़ा। वायनाड में भूस्खलन भारी बारिश के कारण हुआ, जिसमें 29 और 30 जुलाई के बीच 24 घंटों में 572 मिमी बारिश दर्ज की गई। बाढ़ और नदियों के उफान के कारण अब तक 308 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि बचाव अभियान जारी है। यह आपदा केरल राज्य में 2018 की बाढ़ के बाद सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा है, जिसमें 500 से अधिक लोग मारे गए थे।

जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि अरब सागर के गर्म होने, खनन जैसी पर्यावरणीय रूप से हानिकारक गतिविधियों और हरित आवरण की कमी के कारण इस क्षेत्र में इतनी गंभीर भूस्खलन हुई है। इन सभी कारकों ने इस क्षेत्र को ऐसी घटनाओं के लिए संवेदनशील बना दिया है।

भूस्खलन के बाद, भारतीय सशस्त्र बल, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल और तटरक्षक बल मलबा साफ करने, पुल बनाने और लोगों को बचाने के कार्य में जुट गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूस्खलन में मारे गए लोगों के परिवारों को 2 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने का वादा किया है। इसके अलावा, राज्य ने जीवित बचे लोगों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य आपदा प्रबंधन टीम भी गठित की है।

इस भयावह प्राकृतिक आपदा ने राज्य और केंद्र सरकार को सतर्क कर दिया है। राज्य सरकार ने तुरंत राहत कार्यों की पहल की है और प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। वहां पर प्रभावित लोगों को आवश्यक सुविधाएं जैसे भोजन, पानी और दवाएं प्रदान की जा रही हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है और प्रभावित लोगों के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार उन सभी परिवारों की मदद करेगी जिन्होंने अपने प्रियजनों को इस आपदा में खो दिया है।

इस भयानक आपदा के बीच अनारा और मुहम्मद हयान की जीवित रहने की कहानी मानवता और साहस की एक अद्वितीय मिसाल है। उनकी मां तन्जीरा का अपने बच्चों के लिए अदम्य साहस और उनकी जान बचाने की कोशिश उनकी मातृत्व प्रेम और संघर्षशीलता को दर्शाता है।

बचावकर्मियों की तत्परता और साहस ने यह साबित कर दिया है कि मुश्किल परिस्थितियों में भी मानवता की जीत होती है। इस आपदा ने जहां अनेक लोगों की जान ली, वहीं इसने हमें यह भी सिखाया कि संघर्ष और उम्मीद कभी भी समाप्त नहीं होते।वा

यनाड में हुए भूस्खलन ने जहां कई लोगों की जिंदगी को तबाह कर दिया, वहीं अनारा और मुहम्मद हयान की जीवित रहने की कहानी ने एक नई उम्मीद जगाई है। राज्य और केंद्र सरकार की त्वरित पहल और बचावकर्मियों की तत्परता ने इस मुश्किल घड़ी में लोगों की मदद की है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद और संघर्ष हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

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