पाकिस्तान में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान की बड़ी ताकत होने की धारणा खत्म नहीं हो रही है। वह भारत में घुसपैठ बढ़ाने और इस्राइल के खिलाफ ईरान को सैन्य मदद देने पर विचार कर रहा है। पाकिस्तान खुद को अरब दुनिया का नेता मानता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर अरब देशों से मदद मांगने में भी उसे कोई हिचक नहीं होती। इस संदर्भ में कहावत "घर में नहीं हैं दाने, अम्मा चली भुनाने" उस पर सटीक बैठती है।
एक ताजा रिपोर्ट से पता चला है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है और वह दिवालियापन के कगार पर है। हाल के एक आर्थिक सर्वेक्षण में यह उजागर हुआ कि पाकिस्तान के 74 प्रतिशत लोग अपने मासिक खर्चों को पूरा करने में संघर्ष कर रहे हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 14 प्रतिशत अधिक है।
इस स्थिति से निपटने के लिए लोग उधार लेने या पार्ट-टाइम नौकरियों का सहारा ले रहे हैं। सरकार ने एक आर्थिक योजना तैयार की है, लेकिन बढ़ता कर्ज चिंता का विषय बना हुआ है। जुलाई और अगस्त में किए गए सर्वेक्षण में पता चला कि मई 2023 में 60 प्रतिशत लोग घरेलू खर्च चलाने में कठिनाई का सामना कर रहे थे, जो अब बढ़कर 74 प्रतिशत हो गए हैं।
60 प्रतिशत लोगों को अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ी, जबकि 40 प्रतिशत लोग उधार लेकर गुजारा कर रहे हैं। 10 प्रतिशत ने अपने खर्च पूरे करने के लिए अतिरिक्त नौकरी करनी शुरू की है।
56 प्रतिशत पाकिस्तानी कोई बचत नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनकी माली हालत का पता चलता है। महंगाई का असर और खर्चों में कटौती पर भी एक सर्वेक्षण हो रहा है, जिसके चौंकाने वाले आंकड़े आने की उम्मीद है।
शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार संघीय बजट में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाने की योजना बना रही है। पाकिस्तान का कर्ज बढ़कर 79,731 अरब पाकिस्तानी रुपये हो गया है, और उसने आईएमएफ के साथ सात अरब डॉलर की नई डील भी की है।