नोएडा के निजी स्कूल ने मांसाहारी भोजन पर लगायी रोक, अभिभावकों में मची बहस
नोएडा के सेक्टर 132 स्थित एक निजी स्कूल ने अभिभावकों से अनुरोध किया है कि वे बच्चों के टिफिन में मांसाहारी भोजन न भेजें। स्कूल का कहना है कि यह कदम स्वास्थ्य और समावेशिता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। हालांकि, इस निर्णय से अभिभावकों के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं, कुछ इसे सही ठहरा रहे हैं तो कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन मान रहे हैं।

नोएडा के सेक्टर 132 में एक निजी स्कूल द्वारा हाल ही में जारी किए गए एक निर्देश ने अभिभावकों के बीच बहस छेड़ दी है। कुछ अभिभावक इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे व्यक्तिगत आज़ादी में हस्तक्षेप मान रहे हैं।
बुधवार को स्कूल ने एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें अभिभावकों से कहा गया कि वे अपने बच्चों के टिफिन में मांसाहारी खाना न भेजें। इस सर्कुलर को लेकर काफी विवाद हुआ है, और कई लोग इसे भोजन की पसंद पर नियंत्रण का प्रयास मान रहे हैं।
गुरुवार को स्कूल की प्रिंसिपल ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा कि यह सर्कुलर केवल एक अनुरोध है, कोई आदेश नहीं। "हमने अभिभावकों से निवेदन किया है कि वे बच्चों को मांसाहारी भोजन स्कूल न भेजें। यह कोई निर्देश नहीं, सिर्फ एक सम्मानपूर्वक अनुरोध है," प्रिंसिपल ने स्पष्ट किया। "यह न तो प्रतिबंध है, न ही आदेश... सिर्फ एक विनम्र अनुरोध है।"
सर्कुलर में इस अनुरोध के दो मुख्य कारण बताए गए हैं। पहला, "स्वास्थ्य और सुरक्षा," जिसमें कहा गया है कि मांसाहारी भोजन अगर सही से संग्रहीत और संभाला न जाए, तो उससे स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। "सुबह पकाया गया मांसाहारी खाना, अगर सही तरीके से रखा न जाए, तो दोपहर में खाने पर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हम अपने छात्रों की भलाई को प्राथमिकता देते हैं," सर्कुलर में लिखा गया।
दूसरा कारण "समावेशिता और सम्मान" से जुड़ा है। स्कूल का कहना है कि शाकाहारी माहौल सभी बच्चों के लिए सम्मान और समावेशिता का अनुभव बढ़ाता है, चाहे उनकी भोजन की पसंद कुछ भी हो। "शाकाहारी वातावरण बनाए रखने से हम सुनिश्चित करते हैं कि सभी बच्चे, चाहे उनकी भोजन की आदतें जो भी हों, एक साथ आराम से और सम्मान से खाना खा सकें," सर्कुलर में कहा गया है।
इस सर्कुलर को लेकर अभिभावकों में मतभेद है। कुछ लोग इसे सांस्कृतिक और स्वास्थ्य कारणों से सही मानते हैं, जबकि कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन मानते हैं।
जिला विद्यालय निरीक्षक धर्मवीर सिंह ने बताया कि यह सर्कुलर केवल एक अनुरोध है, कोई अनिवार्य निर्देश नहीं। जिन अभिभावकों को इस पर आपत्ति है, वे इसे शिक्षा विभाग में उठा सकते हैं।
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