क्रीमी लेयर पर सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को जवाब देते हुए , पूरी तरह उसके कारणों को समझाया!

सुप्रीम कोर्ट के सुझावों को लागू करने के मामले में एनडीए के भीतर ही एकमत नहीं बन पाया है, जिससे सरकार के सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं। कई दलों के अलग-अलग रुख के कारण सहमति बनाना मुश्किल हो रहा है। इस बीच, सरकार को आगामी विधानसभा चुनावों की भी चिंता सता रही है, क्योंकि इन चुनावों के परिणाम पर कोर्ट के सुझावों का प्रभाव पड़ सकता है। सरकार एक तरफ न्यायिक निर्देशों का पालन करना चाहती है, तो दूसरी तरफ वह राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी प्रयासरत है।

Aug 10, 2024 - 06:08
Aug 10, 2024 - 06:40
क्रीमी लेयर पर सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को जवाब देते हुए , पूरी तरह उसके कारणों को समझाया!

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) में उप-वर्गीकरण की बात कही और पिछड़े वर्गों में भी अति पिछड़ों के अधिकारों को सुनिश्चित करने का सुझाव दिया। इसके आधार पर राज्यों को आरक्षण में कोटा निर्धारित करने की सलाह दी गई। हालांकि, सरकार ने क्रीमी लेयर के संदर्भ में संविधान का हवाला देते हुए इससे दूरी बना ली है।

सरकार में तेलगू देशम पार्टी समेत कुछ एनडीए दलों और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव का स्वागत किया है। हालांकि, बीजेपी के लगभग 100 एससी-एसटी सांसदों ने इसका विरोध किया है। इन सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सुप्रीम कोर्ट के सुझाव को लागू न करने की मांग की। लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी इस सुझाव से सहमत नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अगस्त के फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण का अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण मिल सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी हुई हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह उप-वर्गीकरण मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों के आधार पर होना चाहिए, न कि मर्जी या राजनीतिक लाभ के आधार पर।

सुप्रीम कोर्ट के सुझावों के विरोध में एससी-एसटी के लगभग 100 सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और इस मुद्दे पर अपना असंतोष जाहिर किया। उन्होंने पीएम को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सुझावों का पालन न करने की मांग की गई। पीएम मोदी ने सांसदों को भरोसा दिलाया कि क्रीमी लेयर के तहत वर्गीकरण नहीं होगा और कोर्ट के सुझावों का आरक्षण व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

इस फैसले के बाद राजनीति में भी खलबली मच गई है। बीएसपी प्रमुख मायावती, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, रामदास आठवले और चंद्रशेखर जैसे दलित नेताओं ने इस फैसले का विरोध किया है। वहीं, एनडीए के घटक दलों में इस मुद्दे पर एकमत नहीं है। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए इसे लागू करने की मांग की है।

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के सुझावों को खारिज करते हुए इसे असंवैधानिक बताया है। उनका मानना है कि उप-वर्गीकरण से कई पद खाली रह सकते हैं और राज्यों को मनमाने तरीके से निर्णय लेने का मौका मिल सकता है, जिससे आरक्षण का मूल उद्देश्य प्रभावित हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के सुझावों पर अमल करने के मुद्दे पर एनडीए में सहमति नहीं है। एलजेपी नेता चिराग पासवान ने एससी वर्ग के आरक्षण को अस्पृश्यता के आधार पर दिया गया बताते हुए क्रीमी लेयर के आधार पर वर्गीकरण की जरूरत से इनकार किया। वहीं, जीतनराम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए इसे सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण बताया।

बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनावों में नुकसान की चिंता है, खासकर उन राज्यों में जहां एससी-एसटी वोटर बड़ी संख्या में हैं। इसीलिए, पार्टी सुप्रीम कोर्ट के सुझावों को लागू करने से बच रही है, ताकि विपक्ष के नैरेटिव को काउंटर किया जा सके और चुनावी नुकसान से बचा जा सके। 

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow