बद्रीनाथ हाईवे खुला, मलबा साफ होने के बाद यातायात चालू, पहाड़ी गिरने के कारण हुआ था अवरुद्ध

उत्तराखंड के चमोली जिले में बद्रीनाथ हाईवे पर सेलंग के पास पहाड़ी का एक हिस्सा भरभरा कर हाईवे पर गिर गया था जिससे हाईवे पूरी तरह से बन्द हो गया था। जेसीबी और पोकलैंड के जरिए मलबा हटाने का काम जारी था।

Sep 7, 2024 - 05:46
Sep 7, 2024 - 11:13
बद्रीनाथ हाईवे खुला, मलबा साफ होने के बाद यातायात चालू, पहाड़ी गिरने के कारण हुआ था अवरुद्ध

उत्तराखंड के चमोली जिले में बद्रीनाथ हाईवे पर सेलंग के पास पहाड़ी का एक हिस्सा भरभरा कर हाईवे पर गिर गया था जिससे हाईवे पूरी तरह से बन्द हो गया था। जेसीबी और पोकलैंड के जरिए मलबा हटाने का काम जारी था। अब ये काम पूरा हो गया है। अब हाईवे को खोल दिया गया है।

इस संबंध में चमोली पुलिस ने बताया कि बद्रीनाथ राजमार्ग पागलनाला और नंदप्रयाग में मलबे के कारण अवरुद्ध हो गया था, जिसे सभी प्रकार के वाहनों के लिए खोल दिया गया है। चमोली पुलिस ने बताया कि पागलनाला और नंदप्रयाग में मलबा आने के कारण बद्रीनाथ हाईवे बन्द हो गया था, जिसे सभी तरह के वाहनों के लिए खोल दिया गया है। एक्स पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में चमोली पुलिस ने लिखा, "पागलनाला में बंद सड़क को सभी तरह के वाहनों के लिए खोल दिया गया है।" 

इससे पहले चमोली के पागलनाला और नंदप्रयाग में मलबा आने के कारण बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध हो गया था। हालांकि लोगों की सहूलियत को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने तत्काव कार्रवाई कीष इसकी बदौलत ही सभा वाहनों के लिए हाईवे को खोल दिया गया है। चमोली पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, "बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पागलनाला (ज्योतिर्मठ) और नंदप्रयाग में मलबे के कारण अवरुद्ध है। इससे पहले दिन में जिला प्रशासन ने उत्तरकाशी में वरुणावत पर्वत से लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण बफर जोन में रहने वाले परिवारों को विस्थापित करने की योजना प्रस्तावित की थी, इसे दीर्घकालिक सुरक्षा उपायों के लिए आवश्यक बताया गया है।

इलाके से प्राप्त तस्वीरों से पता चलता है कि भूस्खलन के कारण यह इलाका कितना संवेदनशील है। उत्तरकाशी के डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने कहा, "2003 में यहां भूस्खलन हुआ था, जिसके बाद व्यापक उपचार किया गया था। अब 2003 के बाद भूस्खलन एक अलग जगह पर हुआ है और इससे इलाके को थोड़ा नुकसान हुआ है। उत्तरकाशी में लगातार बारिश के कारण भूस्खलन से आई चट्टानें और मलबा बारिश के पानी के साथ नीचे आ रहे हैं। कुछ लोग आस-पास ही रहते हैं, इसलिए हमने एहतियात के तौर पर उन्हें स्थानांतरित करने का फैसला किया है, ताकि मानसून का मौसम खत्म होने तक उन्हें वहां से हटाया जा सके। हमने उन परिवारों के रहने की व्यवस्था की है।"

उन्होंने आगे कहा, "जैसे ही वरुणावत में भूस्खलन हुआ, हमने जिला स्तर पर एक तकनीकी टीम बनाई जिसने उस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। हमने प्रशासन को रिपोर्ट भेजी, जिसके बाद हमने एक उन्नत तकनीकी टीम के लिए कहा। उन्होंने एक टीम भेजी है जिसमें विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वे स्थिति की निगरानी करेंगे। हमें उम्मीद है कि उसके बाद कुछ उचित उपाय किए जाएंगे।"

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